मचलती कलम
कुछ अनछुए पल,कटोरी यादों की और भावनाओं का संगम..
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Thursday, June 25, 2015
अकेले क्या मैं ही बोलूं..
आज कहने को कुछ नहीं अब..
हर दिन अकेले में क्या मैं ही बोलूं..
©सार्थक सागर
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