बीते लम्हें बंद हैं शीशे के बक्सों में..
लिखा है बाहर कोई "हाथ ना लगाए"..
कैसी करवट लेती है जिंदगी भी..
कल के अपने लम्हे आज मेरे ही पराए..
©सार्थक सागर
लिखा है बाहर कोई "हाथ ना लगाए"..
कैसी करवट लेती है जिंदगी भी..
कल के अपने लम्हे आज मेरे ही पराए..
©सार्थक सागर
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