Thursday, June 18, 2015

हल्की नमकीन चाय

दो प्याली चाय और मैं..
अक्सर बाल्कनी में साथ होते हैं..
एक चाय तेरे लब के नाम..
एक मेरे होठों के..
साथ खाली कुर्सी और कुछ यादें..
पहले अपनी चाय पीता हूँ फिर तुम्हारी..
हल्की नमकीन हो जाती है..
चाय तुम्हारे नाम की..
चंद कतरे आँसू,चुटकी भर याद,कुछ धुंधले पल.. 
मिल जो जाते हैं तुम्हारी चाय में..
फिर घंटों असर करती है दिल-ओ दिमाग़ पर..
वह हल्की नमकीन चाय..
©सार्थक सागर

No comments:

Post a Comment