हाँ हम लिखते हैं दिल का हर पहलू..
कुछ अधूरी साँसें कुछ अधूरी आरज़ू..
कुछ अटखेलियाँ आँखों की उनके..
चुनते हैं जीवन वृक्ष से यादों के तिनके..
आँसू मिलाकर कभी स्याही बनाते हैं..
फिर हंसकर सब कुछ तो लिख जाते हैं..
जिनकी रूह ज़ज़्बातों की जिस्म अल्फाज़ों का..
एक शहर है काग़ज़ पर ऐसे इंसानो का..
बहा देते हैं सब ना कुछ करते काबू..
हाँ हम लिखते हैं दिल का हर पहलू..
©सार्थक सागर
कुछ अधूरी साँसें कुछ अधूरी आरज़ू..
कुछ अटखेलियाँ आँखों की उनके..
चुनते हैं जीवन वृक्ष से यादों के तिनके..
आँसू मिलाकर कभी स्याही बनाते हैं..
फिर हंसकर सब कुछ तो लिख जाते हैं..
जिनकी रूह ज़ज़्बातों की जिस्म अल्फाज़ों का..
एक शहर है काग़ज़ पर ऐसे इंसानो का..
बहा देते हैं सब ना कुछ करते काबू..
हाँ हम लिखते हैं दिल का हर पहलू..
©सार्थक सागर
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