मचलती कलम
कुछ अनछुए पल,कटोरी यादों की और भावनाओं का संगम..
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Saturday, April 18, 2015
मुलाक़ात
मिलना है तो मिला करो मुसाफिरों की तरह..
दिल में रहने वाले अक्सर "मिल" नहीं पाते..
©
सार्थक सागर
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