Wednesday, July 8, 2015

आओ कुछ यूँ मिलें

आओ कुछ यूँ मिलें के जैसे मिलता है काग़ज़ रोशनाई से..
दिल में रहते हो तुम हमें डर नही लगता जुदाई से..
©सार्थक सागर

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