Saturday, October 14, 2017

किरदार

जीवन एक रंगमंच है, लोग यहाँ आते हैं अपना किरदार अदा करते हैं, और चले जाते हैं। यह वाक्य इतनी बार सुना है कि अब तो ऐसा लगता है, यह जीवन में घर कर गया है। हर इन्सान ऐसा लगता है कि बस मेरे जीवन में अपना किरदार अदा कर रहा है। एक डर सा बैठ गया है भीतर, कौन कब मेरी ज़िन्दगी से अपना किरदार अदा कर के निकल जाए पता नहीं। सब के साथ उतना ही जुड़ना पड़ता है, वही झूठा नाटक, वही वादे साथ रहने के यह जानते हुए भी कि सब मिथ्या है। थोड़े दिन शरीर उसी किरदार में रंगा रहता है, फिर वक़्त आंसुओं के साथ साजिश कर उसका रंग मिटा देता है। आखिर कलाकार हैं, कब तक वही रंग चढ़ाए रहेंगे।
मुझे तुम कभी ऐसी नहीं चाहिए थी, जिसमें तुम चंद पल के लिए मेरी नायिका रहो। जो वक़्त ने हमें मिलाया तो कुछ सोच कर ही मिलाया होगा। अरसों बाद मिले, कहीं न कहीं करीब आने लगे मगर आज तक कुछ भी नहीं कहा। मैं इंतज़ार कर रहा हूँ उस संवाद का जिसमें मैं तुमसे अपने दिल की बात कह पाऊंगा। तुम मेरी हो जाओगी, और वह मेरा रंगमंच पर आखरी नाटक होगा। दर्शक तालियाँ बजाएँगे, खुश होंगे, पर्दा गिरेगा और बस नाटक वहीँ ख़त्म।
मगर यह अंत तो मेरे कल्पना में है। मुझे तो पता भी नहीं यह संवाद लेखक ने लिखे भी हैं या नहीं। इस नाटक का अंत कैसा है, उस में हम तुम मिलेंगे भी या नहीं। जीवन के नाटक में यही तो होता है, पटकथा की जानकारी नहीं होती। लेखक जब चाहे कहानी बदल सकता है। हम ख़ुद-ब-ख़ुद इशारों पर नाचते हैं। कभी कभी ऐसा भी महसूस होता है के हम कलाकार नहीं कठपुतलियां हैं। अपने दिल में चाहे लाख कहानियां गढ़ लो, वास्तविकता कुछ और होती है।
ऐसा प्रतीत होता है, मैंने तुम्हें मंच के किसी कोने में एक जगह दे दी हो। एक किरदार से प्रेम कर लिया हो। ऐसा किरदार, जो अभी तो मेरे साथ है मगर अगले नाटक में मेरा हो या न हो पता नहीं। वह जो पर्दा गिरने के साथ ही शायद बदल जाएगा। लोग उस किरदार को धीरे- धीरे भूल जाएँगे। मगर क्या मैं कभी भूल पाऊंगा, आखिर मैंने उसे जिया है, निभाया है, प्रेम किया है। तुम्हारे उस किरदार का रंग कहीं न कहीं रह जाएगा, फ़ीका सा ही सही। जिसकी झलक मेरे दूसरे नाटकों में शायद नज़र आएगी । आखिर कुछ गहरे रंग वक़्त के साथ भी नहीं धुलते।
नाटक ज़ारी रहेगा। कलाकार रंगे जाते रहेंगे। किरदार भुला दिए जाएँगे। मगर कुछ किरदार हमेशा अमर रह जाएँगे। तुम उसी आख़िरी नाटक में मेरी नायिका होना जिसमें हमारा किरदार अविस्मरणीय हो। 
   

 © सार्थक सागर 

9 comments:

  1. Nice lines expressing the reality of life.... 👍

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  2. आहा ! मैंने भी इस पंक्तियों को जिया है,महसूस किया है और इस बात को सुंदर तरीके से लिखने के लिए हृदय से धन्यवाद भाई !! कभी कभी लगता है कि हम नाटक कर रहे है य हम किसी नाटक के किरदार है !! ये समझना बहुत मुश्किल हो जाता है !!बहुत अनुपम लेख !!

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  3. आभार आपका। तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ कि आपने इसे पढ़ा और महसूस किया। आपके ये वचन मुझे और लिखने को प्रेरित करते हैं।

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  4. bahut hi sundar lekh lekha aapne adbhut.......
    Poem On republic day in hindi mai bhi ek poet meri kavita padhe

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