जो हाथ छुएँ दामन को तेरे
उसे काट वहीँ दफना देना
जब जब कोई महिषासुर आए
तुम दुर्गा रूप बना लेना ||
वह दैत्य सा अट्टहास करेगा
वह तुम्हें कुचलना चाहेगा
जब तुमको कोई यूँ ललकारे
उसे शक्ति स्वरुप दिखा देना
जब जब कोई महिषासुर आए
तुम दुर्गा रूप बना लेना ||
वह चीख पुकार मचाएँगे ,भय खाएँगे
जब तुम्हारे भीतर का सिंह दहाड़ेगा
सीता भी तुम , तुम काली भी
उन्हें यह बात ज्ञात करा देना
जब जब कोई महिषासुर आए
तुम दुर्गा रूप बना लेना ||
(बी.एच.यू. लाठी चार्ज में छात्राओं के आन्दोलन को समर्पित )
© सार्थक सागर
उसे काट वहीँ दफना देना
जब जब कोई महिषासुर आए
तुम दुर्गा रूप बना लेना ||
वह दैत्य सा अट्टहास करेगा
वह तुम्हें कुचलना चाहेगा
जब तुमको कोई यूँ ललकारे
उसे शक्ति स्वरुप दिखा देना
जब जब कोई महिषासुर आए
तुम दुर्गा रूप बना लेना ||
वह चीख पुकार मचाएँगे ,भय खाएँगे
जब तुम्हारे भीतर का सिंह दहाड़ेगा
सीता भी तुम , तुम काली भी
उन्हें यह बात ज्ञात करा देना
जब जब कोई महिषासुर आए
तुम दुर्गा रूप बना लेना ||
(बी.एच.यू. लाठी चार्ज में छात्राओं के आन्दोलन को समर्पित )
© सार्थक सागर
वह चीख पुकार मचाएँगे ,भय खाएँगे
ReplyDeleteजब तुम्हारे भीतर का सिंह दहाड़ेगा
सीता भी तुम , तुम काली भी
उन्हें यह बात ज्ञात करा देना
जब जब कोई महिषासुर आए
तुम दुर्गा रूप बना लेना ||
बहुत बढ़िया !!
धन्यवाद :)
ReplyDeleteबहुत सुंदर कविता भाई ! माँ दुर्गा,काली के भक्त है !! अच्छा लगा सुनकर !
ReplyDeleteधन्यवाद मित्र।
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