मचलती कलम
कुछ अनछुए पल,कटोरी यादों की और भावनाओं का संगम..
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Thursday, May 14, 2015
शायरी-शराब
वह मदमस्त था ख़ुद
के लिखे मिसरे पढ़कर..
सच ही किसी शायर ने शायरी को शराब लिखा है..
© सार्थक सागर
1 comment:
sarthak sagar
May 19, 2015 at 1:09 AM
धन्यवाद.. :)
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धन्यवाद.. :)
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