आओ यादों की पर्चियाँ चुने..
कोई अधूरा ख़त जो लिखा तुमने..
आधी एक नज़्म जो लिखी मैंने..
या जला दें या पूरी कर दास्तान बुने..
आओ यादों की पर्चियाँ चुने.
सार्थक सागर
कोई अधूरा ख़त जो लिखा तुमने..
आधी एक नज़्म जो लिखी मैंने..
या जला दें या पूरी कर दास्तान बुने..
आओ यादों की पर्चियाँ चुने.
सार्थक सागर
bahut badhiya :)
ReplyDeleteधन्यवाद.. :)
Deleteplease subscribe if you liked it :)
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